सोमवार, 16 जून 2008

हिंदी में ब्लॉग अर्थात् चिट्ठों का संसार

सर्वप्रथम वेबब्लॉग नाम से इसकी मूल परिकल्पना आज से दस वर्ष पूर्व जॉर्न बर्गर द्वारा सन् 1997 में की गई और इसी शब्द को हँसी-मज़ाक में छोटा करके पीटर मरहॉल्ज ने सन् 1999 में ब्लॉग शब्द का प्रयोग शुरू कर दिया और तब से संज्ञा और क्रिया दोनों ही रूपों में इसका प्रयोग किया जाने लगा. आरंभ में वेबब्लॉग लोकप्रिय वेबसाइटों के संक्षिप्त और अद्यतन रूप ही हुआ करते थे. आरंभिक ब्लॉग किसी न किसी विषय विशेष पर ही केँद्रित रहते थे, जैसे, राजनैतिक ब्लॉग, यात्रा ब्लॉग, फ़ैशन ब्लॉग, परियोजना ब्लॉग, स्वप्न ब्लॉग आदि..आदि.ज़्यादातर ब्लॉग कुछ व्यक्तियों द्वारा निजी स्तर पर ही बनाए जाते थे, लेकिन इसकी बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए अब इसका प्रयोग व्यावसायिक आधार पर भी किया जाने लगा है. वस्तुत: ब्लॉग एक ऐसी वेबसाइट है, जिसे कालक्रम से संयोजित किया जाता है, किंतु उसका प्रदर्शन आम तौर पर उल्टे कालक्रम से किया जाता है. टैक्नोराटी नामक एक वेब सर्च इंजन द्वारा सितंबर,2007 में की गई खोज के अनुसार इस समय लगभग 106 मिलियन ब्लॉग दुनिया-भर में प्रचलित हैं. इनमें से अधिकतर ब्लॉग तो समाचारों पर अपनी टिप्पणी देते हैं और कुछ ब्लॉग ऑन-लाइन डायरी के रूप में दिखाई पड़ते हैं और कदाचित् यही कारण है कि हिंदी में इसके लिए चिट्ठा शब्द प्रचलित हो गया है. शुरूआती दौर में इस पर सिर्फ़ शब्द रहते थे, लेकिन अब इसका स्वरूप काफ़ी बदल गया है. अब इसमें चित्र तथा ऑडियो और वीडियो के प्रकाशन की भी सुविधा हो गई है.
तकनीकी दृष्टि से ब्लॉग,वेबसाइट और पोर्टल में कोई विशेष अंतर नहीं है. प्रभासाक्षी.कॉम के संपादक श्री बालेंदु दधीच मानते हैं कि ब्लॉग एक डायरी या चिट्ठा-भर है, जबकि वेबसाइट एक पूरा दस्तावेज़ है और पोर्टल अनेक वेबसाइटों का एक समूह है, लेकिन इनकी निर्माण प्रक्रिया में कुछ अंतर अवश्य है. जहाँ वेबसाइट या पोर्टल के निर्माण के लिए डोमेन-नाम का पंजीकरण अनिवार्य है और FTP पता, उपयोगकर्ता का नाम और पासवर्ड लेना अनिवार्य है, वहीं ब्लॉग निर्माण के लिए इस प्रकार की कोई औपचारिकता आवश्यक नहीं है. इसके अलावा वेबसाइट निर्माण के लिए FTP क्लाइंट सर्वर आपसे स्पेस के लिए मामूली शुल्क भी लेते हैं, जबकि ब्लॉग हॉस्टिंग सेवा लेने के लिए गूगल, वर्डप्रैस, मूवेबल टाइप, ब्लॉगर या लाइवजर्नल जैसे ब्लॉग सॉफ़्टवेयर उपलब्ध हैं.
वस्तुत: हिंदी में इसकी शुरूआत लगभग साढ़े चार वर्ष पूर्व युनिकोड के आगमन के बाद ही हुई, क्योंकि युनिकोड एक ऐसा कोडिंग सिस्टम है,जो न केवल विश्वव्यापी है,बल्कि उसमें विश्व की सभी जीवंत भाषाएं समाहित हैं.इसकी शुरूआत रवि रतलामी जैसे लोगों ने व्यक्तिगत स्तर पर की, किंतु हिंदी के लोकप्रिय चिट्ठाकार आलोक पुराणिक के अनुसार व्यक्तिगत स्तर पर निर्मित और प्रकाशित ये ब्लॉग अत्यंत यूज़र फ़्रैंडली होते हुए भी जंगल में मोर नाचा, किसने देखा जैसी कहावत ही सिद्ध करते थे और गिने-चुने लोग ही इसे देख पाते थे, लेकिन अब कुछ ब्लॉग ऐग्रीगेटर मैदान में आ गए हैं, जैसे, नारद, ब्लॉगवाणी और हिंदी ब्लॉग.कॉम आदि. व्यक्तिगत स्तर पर सक्रिय ब्लॉगर या चिट्ठाकार अपना पंजीकरण इनके अंतर्गत करा लेते हैं और पहले दिन से ही उन्हें कुछ पाठक मिल जाते हैं. हिंदी में चिट्ठाविश्व नाम से पहला ब्लॉग एग्रीगेटर बनाने वाले पुणे के सॉफ्टवेयर इंजीनियर देबाशीष चक्रवर्ती हैं. ब्लॉग एग्रीगेटर और ब्लॉग निर्माण की नि:शुल्क सुविधा प्रदान किए जाने के कारण हिंदी ब्लॉगों की संख्या अब बढ़कर लगभग 1100 तक पहुँच गई है. यदि ब्लॉगर अपने ब्लॉग के उपयोगकर्ताओं की सही और अद्यतन संख्या जानना चाहते हैं तो वे काउंटर की सुविधा भी ले सकते हैं.जहाँ तक हिंदी में कुंजीयन का प्रश्न है,इसके लिए माइक्रोसॉफ़्ट द्वारा विकसित IME और गूगल इंडिक ट्रांसलिटरेशन टूल जैसी सुविधाओं के आ जाने से देवनागरी में लिखना पहले के मुक़ाबले बहुत आसान हो गया है.
हिंदी में ब्लॉग की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए अब बड़ी-बड़ी कॉर्पोरेट कंपनियाँ भी मैदान में आने लगी हैं. बीबीसी.हिंदी ने हाल ही में अपनी ब्लॉगर सेवा शुरू कर दी है,लेकिन ब्लॉग की क्षमता और व्यापकता को देखते हुए कुछ आतंकवादी संगठन भी अब इसका लाभ उठाने लगे हैं, इसलिए कुछ देश अब इस पर रोक लगाने पर भी विचार कर रहे हैं. अभी हाल ही में मिस्र की एक अदालत ने ब्लॉग के माध्यम से इस्लाम और राष्ट्रपति की आलोचना के लिए एक ब्लॉगर को चार साल की जेल की सज़ा सुनाई है. मिस्र के मानवाधिकार संगठन ने इस सज़ा को 'बहुत सख़्त' क़रार दिया है.भारत सरकार द्वारा जारी की गई एक अधिसूचना में भी कहा गया है कि भारत की संप्रभुता और अखंडता, राष्ट्रीय सुरक्षा, अन्य देशों से दोस्ताना रिश्ते और कानून तोड़ने के लिए प्रोत्साहित करने वाले वेबसाइटों को सरकार प्रतिबंधित कर सकती है, लेकिन ब्लॉगिंग के ज़रिए अपने दफ़्तर या समाज के बारे में बेबाक राय रखने वालों का कहना है कि इन पर रोक लगाने का मतलब है अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर चोट करना. ऐसी स्थिति में चिट्ठाकारों के लिए स्वयं ही आदर्श आचार संहिता का पालन जरूरी है. नारद ने इस तरह की संहिता तैयार करने की दूरदर्शिता दिखाकर प्रशंसनीय पहल की है.बीबीसी के अनुसार कुछ सरकारी संस्थाओं ने इसके सकारात्मक पहलू को सामने रखकर इसका प्रयोग शुरू कर दिया है. ब्लॉगिंग विधा ने राजस्थान में बाड़मेर पुलिस को इतना प्रभावित किया कि उन्होंने अपना एक आधिकारिक चिट्ठा ही बना लिया. इस चिट्ठे पर विभाग अपने दैनिक कार्यकलापों का ब्यौरा प्रकाशित करता है.
इससे यह स्पष्ट है कि ब्लॉग एक ऐसी शक्ति है, जिसके सकारात्मक उपयोग से व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों ही स्तरों पर समाज में भारी परिवर्तन लाया जा सकता है.

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